Last modified on 19 सितम्बर 2020, at 18:31

स्तुति / रोहित रूसिया

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:31, 19 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोहित रूसिया |अनुवादक= |संग्रह=नद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे देश तुझको
मेरा नमन
कितनी सुहानी धरती तेरी
पावन तेरा गगन

मंत्रों-सी
पावन धरती है
सबका अभिनन्दन
करती है
जीवन की साँसे हैं सबमें,
जड़ हो या चेतन

पवन तेरी है
चंचल चंचल
गीत सुनाये मंगल-मंगल
हर मौसम
खुशियों का मौसम
पतझड़ या सावन

खिलती हुई
कली ना तोड़ें
अपनों को अपनों से जोड़ें
महकाना है
उपवन अपना
अपना ये आँगन

ना हो भाषा
राग-द्वेष की
बोली मीठी प्रेम-देश की
लोभ, निराशा
स्वार्थ, तिकड़में,
आज करें तर्पण

अपना देश है
अपना साथी
जैसे एक दीया और बाती
चलो किरण
बन जाएँ हम तुम
दुनिया हो रोशन

मेरे देश तुझको
मेरा नमन