Last modified on 24 सितम्बर 2020, at 22:30

हरियाली / अपूर्व भूयाँ

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:30, 24 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अपूर्व भूयाँ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक झोंका हरियाली आकाश में
कहीं सुन रहा हूँ राग मेघ-मल्लार
बारिश के बूँदे टपक रहा है
हरियाई में

बारिश में भीगा हुआ एक नदी में तैर रहा हूँ
मेरा साँस हरा
हवा भी हरा

एक प्राचीन मंदिर की दरवाज़ा खुल रहा हूँ
दूर से बहके आ रही है शंख की ध्वनि

हरा रौशनी में एक दर्जिन चिड़िया
हरा पत्ते से बखिया रही है घोंसला
हृदय के एकांत में सुन रहा हूँ
उसकी चहक ।