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आममहु / दिलीप कुमार झा

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दूरधरि पसरल
मज्जरसँ महमह करैत
अपने लोकक उपेक्षासँ हेहरू भेल
एहि विशाल आमक गाछीमे
असकरे बाँचल अछि
बुढ़बा बिज्जू बम्बई गाछ
कोनो सगुनक निमित रोपने रहथिन बाबा
एहि बिज्जूक पँजरा एकटा सुन्नरसन महुक गाछ
आब ओएहटा जोड़ीदार बचल छै
जे नीक बेजाय सुनै छै, गुनै छै
बड़ आश लगौने रही जाहि मनोरथें
रोपने रहथि बाबा
से पुर हैत बुचियाक बिआहमे
कतेको बरिसक पछाति
डीहपर बाजत रसनचौकी
आइ माइ गौअती सम्मर बँटगवनी
बान्हल जायब हम आ तों
ललका पियरका डोरासँ
धिया लगौती सेनुर पीठार
कतेक सोहओन दिवस हेतै ओ
मुदा जहिया बड़का वौआ
तोड़थि रहथि हमर ठाड़ि
भावुक भ' बजैत रहथि
महुआ भाई! तों नहि देखि सकलह
बुचियाक विआह
मुदा बुढ़बा बाबाक अन्तिम इच्छाकेँ
पूरा करबाक लेल तोड़े ठाड़ि
हम ल' जा रहल छी दिल्ली
तों कनियों तकलीफ नहि करिह'
बुढबा बम्बई गाछ
तोड़ो ठाड़ि हम पहुँचा देबनि
बाबाक प्रिय पोतीक पाणिग्रहणमे
कोशिश अछि रेलक वातानुकूलित डिब्बामे
जतनसँ ल' जाइ
तोड़ा लोकनिक ठाड़ि
कनियों मौलाय नहि
मुदा ई बुझबा में भाङठ नहि
जे टुटलाहा ठाढ़ि कतौ गाछ होइ
जहिया ध' लेलनि
वैदिकजी नागपुर
जोतखीजी जयपुर
आ डाक्टर साहेब लडुगामक जथा बेचि क'
बसि गला गुड़गाममे
तहिये हिया हारि देने रही
करेज पथड़ा गेल रहय
जे ई लोकनि काजो परोजनमे गाम अओता!
तकर भरोष टुटि गेल रहय
मुदा तैयो कोनो कोनमे
उमेद शेष रहय
बुचियाक विवाह हेतै गामेपर
सभ कुटुम परिवार
हमरोसँ भेट करय एबे करता
हमहुँ चैनसँ विदाह लेब
कएक पीढ़ीकेँ निमाहलहुँ
हमरो मोन आब अगुता गेल अछि
एहि आम्रपाली आ मल्लिकाक
दोहरा वेवहार सँ।