मेरे आँगन में हँसते हैं
लाल गुलाब,
लाल गुलाब!
रोज सवेरे पापा इनको
कहते हैं आदाब,
ताली बजा-बजाकर छुटकी
कहती लाजवाब!
मुझको लगता, मुसकानों की
हैं यह खुली किताब,
मम्मी कहती, चाचा नेहरू
के ये सुंदर ख्वाब!
मेरे घर की सुंदरता हैं
लाल गुलाब,
लाल गुलाब!
सब दोस्तों को बुला-बुलाकर
सोनू इन्हें दिखाता,
बटन होल में इन्हें सजाकर
मैं भी शाला जाता।
पापा कहते जरा लिखो तो
इन पर कविता प्यारी,
मम्मी ने रख गुलदस्ते में
इनकी छटा सँवारी।
सारे घर को महकाते हैं
लाल गुलाब,
लाल गुबाल!