Last modified on 6 अक्टूबर 2020, at 23:23

मेरी पेंसिल / प्रकाश मनु

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:23, 6 अक्टूबर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=चुनम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नई पेंसिल मिल जाए तो
चित्र बनाऊँगा मैं अच्छा,
उसमें झटपट आ जाएगा
बस्ता टाँगे चंचल आया

उसमें कमरा, उसमें खिड़की
उसमें बारिश झमझम होगी
सोने जैसी परी सजीली
नाच-नाचती छम-छम होगी।

नई पेंसिल मिल जाए तो
चित्र बनेगा ताजा-ताजा,
नई पेंसिल मिल जाए तो
मैं हो जाऊँ मन का राजा।