रॉकेट एक चलाऊँगा मैं,
अंबर तक उड़ जाऊँगा मैं।
तारों को छूँ आऊँगा मैं,
सबसे हाथ मिलाऊँगा।
कैसे अपने चंदा मामा,
कैसे उनकी घोड़ी श्यामा!
बैठ उसी पर आसमान में,
दिखलाते हैं हर पल ड्रामा।
सूरज दादा हैं गुस्सैल,
उनके साठ हजार बैल।
उनसे खेती करवाते हैं,
ना हँसते, ना मुसकाते हैं।
आऊँगा जब उड़कर नीचे
किस्से खूब सुनाऊँगा मैं,
रॉकेट एक चलाऊँगा मैं!