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धूप / अज्ञेय

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सूप-सूप भर

धूप-कनक

यह सूने नभ में गयी बिखर:

चौंधाया

बीन रहा है

उसे अकेला एक कुरर ।


अल्मोड़ा

५ जून १९५८