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जाड़ों मे / अज्ञेय

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लोग बहुत पास आ गये हैं।

पेड़ दूर हटते हुए

कुहासे में खो गये हैं

और पंछी (जो ऋत्विक् हैं)

चुप लगा गये हैं।


बर्लिन

जून १९७६