Last modified on 20 नवम्बर 2020, at 23:18

बगुला भक्तन सों डरिये री / जुगलप्रिया

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:18, 20 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जुगलप्रिया |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatP...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बगुला भक्तन सों डरिये री।
इक पग ठाढ़े ध्यान धरत है दीन मीन लौं किमि बचिए री।
ऊपरते उज्जल रंग दीखत हिये कपट हिंसक लखिये री॥
इतने दूर ही रहे भलाई निकट गये फंदनि फँसिये री।
जुगल प्रिया मायावी पूरे भूलि न इन संग पल बसिए री॥