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वक़्त की छानबीन से निकले / राज़िक़ अंसारी

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वक़्त की छानबीन से निकले
ज़ख़्म ताज़ा तरीन से निकले

क्या बचेगा तेरी कहानी में
हम अगर इक भी सीन से निकले

दस्त कारी का दौर ख़त्म हुआ
हाथ कट के मशीन से निकले

जब हुआ मिल्कियत का बटवारा
कितने रिश्ते ज़मीन से निकले

कितने चहरे हुए हैं बे परदा
सांप जब आस्तीन से निकले