उन दिनों बारिश नमक सी हुआ
करती थी,
अब ऐसी फीकी
या
इतनी तेज़ कि ज़ायका बदल
गया ज़िन्दगी का,
पेड़ पर लटकी उन हरी जानों
ने फीका नमक चखा होगा,
उन बहती हरी लाशों
ने तेज़ नमक में जीवाणु से मरते
स्वप्नों को अलविदा कहा होगा ।
उन दिनों बारिश नमक सी हुआ
करती थी,
अब ऐसी फीकी
या
इतनी तेज़ कि ज़ायका बदल
गया ज़िन्दगी का,
पेड़ पर लटकी उन हरी जानों
ने फीका नमक चखा होगा,
उन बहती हरी लाशों
ने तेज़ नमक में जीवाणु से मरते
स्वप्नों को अलविदा कहा होगा ।