Last modified on 19 जनवरी 2021, at 00:30

यौवन माया / सुरंगमा यादव

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:30, 19 जनवरी 2021 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

45
पराया देश
ढूँढ़े अपनापन
नयी दुल्हन ।
46
कामुक अंधे
घूम रहे बेख़ौफ
आज दरिंदे।
47
प्रेम फुहार
धरा पर बरसा
नभ का प्यार ।
48
सूखी नलिनी
प्रिय बिन जीवन
कैसा जीवन !
49
मेघ जौहरी
बाँटे खोल तिजोरी
बूँदों के मोती।
50
खिली धूप में
रिमझिम बारिश
सूर्य नहाये।
51
मन गागर
पीड़ाओं का सागर
समेटे नारी।
52
अपनी ढाँपे
अपनों के मन की
पीड़ाएँ बाँचे ।
53
वक़्त की मार
सुकोमल पंखुड़ी
बनी कटार।
54
राह अंधेरी
दुआओं की चाँदनी
माँ ने बिखेरी।
55
यौवन माया
सुन मृगनयनी
धन पराया