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एकाकीपन / सुरंगमा यादव

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78
बदली रीत
पुत्र दे रहा आज
पिता को सीख।
79
तम सघन
हौसला रख मन
आयेगी भोर।
80
तम में दीप
काली चादर पर
तरल सोना।
81
गहरी हुईं
रिश्तों की सिलवटें
कैसे ये हटें ?
82
मानव कृत्य
प्रकृति के विरुद्ध
पा रहा दण्ड ।
83
है विश्वग्राम
वायरस घूमता
यहाँ से वहाँ ।
84
मानव कैद
कोरोना उपद्रवी
घूमें आजाद।
85
कोरोना रोग
अंतिम क्रिया पर
है प्रोटोकॉल ।
86
सूनी सड़कें
कैसी ये हलचल
मानव कैद।
87
कुहू कहती
चहुँओर उदासी
कैसी है साथी।
88
एकाकीपन
उद्वेलित रहता
सागर मन