Last modified on 25 जनवरी 2021, at 13:57

बारिश-3 / वन्दना टेटे

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:57, 25 जनवरी 2021 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं बारिश में थी
और बारिश मुझमें

मेरे पंख भीग रहे थे
देह नदी हो गई थी

शब्द पानी-पानी हो रहे थे
हंसी झरने की तरह
शोर कर रहे थे

बदमाश बादल मेरे पीछे पड़ा था
किसी आवारा शोहदे की तरह