मैं बारिश में थी
और बारिश मुझमें
मेरे पंख भीग रहे थे
देह नदी हो गई थी
शब्द पानी-पानी हो रहे थे
हंसी झरने की तरह
शोर कर रहे थे
बदमाश बादल मेरे पीछे पड़ा था
किसी आवारा शोहदे की तरह
मैं बारिश में थी
और बारिश मुझमें
मेरे पंख भीग रहे थे
देह नदी हो गई थी
शब्द पानी-पानी हो रहे थे
हंसी झरने की तरह
शोर कर रहे थे
बदमाश बादल मेरे पीछे पड़ा था
किसी आवारा शोहदे की तरह