क्या तुम जानते हो
उस भेड़िये को
जो हमारे बच्चे चुरा ले जाता है
और पहाड़ की चाँदनी को
किसी गन्दे नाले में रात भर
डुबोए रखता है
अजनबी
क्या तुमने देखा है
उस इनसानी जीव को
जो धरती खाता है
नदियों को पीता है
और गीतों के साथ
हिंसक बरताव करता है
अजनबी
शायद तुम जानते होगे
उस सड़क को
जिस पर हमारे इतिहास को
जाने पर पाबन्दी है
जिस पर पाँव रखते ही
हमारी भाषाओं के
अर्थ बदल जाते हैं
अजनबी
तुम्हें यह तो पता ही होगा
आसमान को चूहे नहीं
कुछ लोग कुतर रहे हैं
जंगल इसलिए नहीं कुपोषित है
कि सूरज निकम्मा है
और कहानियाँ आलसी हैं
या पुरखा गीतों में विटामिन की
कमी हो गई है
अजनबी
कुछ पता चले तो
ज़रूर बताना
या तुम्हें वह मिल जाए
तो उससे कहना
बहुत बूढ़ा हो गया है पहाड़
पर वह अब भी मरङ बुरु<ref>सर्वोच्च अभिभावक पहाड़</ref> है
शब्दार्थ
<references/>