Last modified on 6 फ़रवरी 2021, at 00:34

दुख / राजेश कमल

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:34, 6 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश कमल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बेरोज़गारी है मेरा दुख
पिता का दुख है एक अदद दामाद
और माँ का दुख तो अनंत है
जीवन में नमक की तरह घुस आए
इस आतंकवादी से
कोई नहीं मांगता पहचान पत्र
कहाँ से आते है दुख
कौन देता है इन्हें जन्म
कहाँ है घर इनका
कुछ प्रश्न अनुत्तरित है अभी
लेकिन
यही है परम सत्य
की दुख
अपनी पूरी उम्र जी के जाता है
ईश्वर कभी उसे
अकाल मृत्यु नहीं देता।