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तितली रानी / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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तितली रानी, तितली रानी,
कैन्हेॅ नी तोरा पंखोॅ पर पानी।

वरसा के पैन्हें तोंय आबै छोॅ
अपनोॅ सुन्नर रूप देखाबै छोॅ,
रिमझिम वरसा में भींजी-भींजी
मन बुतरू सबके तरसाबै छोॅ।
ऐ सतरंगी चुनरी वाली
तोरोॅ नै दुनिया में सानी,
तितली रानी, तितली रानी।

तोरा साथें मन थिरकै छै
तोरा पकड़ै लेॅ मन कुहकै छै,
तोरोॅ चपल चपलता देखी
हमरोॅ भी मन देखोॅ उमकै छै।
सुन्नर रूप सलोना तोरोॅ
मतुर छोॅ बहुत सयानी,
तितली रानी, तितली रानी।

फूलोॅ पर बैठी की चूसै छोॅ?
उड़ै छोॅ लागै मुँह दूसै छोॅ,
सात घाट रोॅ पानी पीवी केॅ
झूठे रो तोंय की रूसै छोॅ।
छुअेॅ के सुख तेॅ देॅ तनियोॅ टा
करल्हेॅ बहुतेॅ मनमानी,
तितली रानी, तितली रानी।