Last modified on 28 मार्च 2021, at 15:59

आम / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:59, 28 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध प्रसाद विमल |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लाल गुलाबी पकलोॅ आम
कŸोॅ लागै छै मीट्ठोॅ आम
चोरी-चोरी चलें बगीचा
टेवी कोनोॅ खद्दा-खच्चा
तेज धूप जोगवारें सोचतै
ऐन्हा में की अइते बच्चा
ठर्रो पारी सुतलोॅ होतै
मोरका में जोगवारोॅ मंटू राम
तोड़ी खैबै ख़ूब सिनूरिया आम
लाल गुलाबी पकलोॅ आम।

कुछ खैबेॅ, कुछ जेबी में धरवै
माय सें छिपी केॅ राती भी खैबै
माय बाबू के ही डर छै खाली
तहियोॅ चल जे होतै देखी लेबै
बचना छै बस कक्का नजरी से
बीछी लेबै सब गछपक्कोॅ आम
चल जख बाबा केॅ करें प्रणाम
लाल गुलाबी पकलोॅ आम।

आम फलोॅ के राजा छै
एकदम ताज़ा ताजा छै
एकरा समना में सब फीक्कोॅ
चाहै कतनौं मीट्ठोॅ खाजा छै
सब फल छोड़ी अच्छा लागै
गाछी तर गिरलोॅ डम्हक आम
लाल गुलाबी पकलोॅ आम
मन के ख़ूब सुहावै आम।