Last modified on 31 मार्च 2021, at 23:48

प्रतिद्वंद्विता / अहिल्या मिश्र

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:48, 31 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अहिल्या मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मन मेरा आज बंधनों में
अटा पड़ा है।
टूटने लगा है श्वास
घटने लगा है लहू का उच्छ्वास
छोड़ता नहीं डोर
इस अभिलाषा का।

टूटती नहीं छोर
घटती नहीं होड़
मृत्यु मनाना चाहती है
दिग्विजय।

हृदय पाना चाहता है
जीवन की लय
गीत और अवसाद में
छिड़ गई है प्रतिद्वंद्विता।