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बेटियाँ / संजीव 'शशि'

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कोमल पंखों से छू लेंगी,
ये अम्बर उड़कर।
बेटियाँ बेटों से बढ़कर॥

भाग्यवान वह जिसके घर में,
गूँजे बेटी की किलकारी।
बेटा है यदि कुल का दीपक,
बेटी आँगन की फुलवारी।
हर पल साथ हमारे रहती,
सुख-दुख में जुड़कर।

इनमें भी है अंश हमारा,
इनको मत कम करके जानो।
 'लता' , 'साइना' , 'किरण' सरीखे,
इनके सपनों को पहचानो।
सच कर सकतीं हैं हर सपना,
ये भी लिख पढ़कर।

'जगजननी' ये 'शक्ति स्वरूपा' ,
इनके अंतर 'मातु भवानी'।
'सीता' , 'अनसुइया' -सी पावन,
'लक्ष्मीबाई' -सी मर्दानी।
'सावित्री' बन छीनें पति को,
ये यम से लड़ कर।