Last modified on 7 जून 2021, at 19:39

राम / संजीव 'शशि'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:39, 7 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजीव 'शशि' |अनुवादक= |संग्रह=राज द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

युगों-युगों से नाम राम का,
जीवन का आधार।
राम का करो नहीं व्यापार॥

सुख के क्षण में राम बसे हैं,
राम बसे दुख के क्षण में।
जन्में राम अयोध्या में पर,
राम बसे भू के कण-कण में।
यदि अधरों पर नाम राम का,
होता है उद्धार।

ढूँढे हमने तीरथ सारे,
कब ढूँढा अपने अंतर में।
रोम-रोम में राम समाये,
राम बसे मन के मंदिर में।
श्रद्धा के कर सुमन समर्पित,
दो भावों के हार।

आओ अपने जीवन में हम,
राघव का आदर्श उतारें।
विजय वरण करनी यदि हमको,
अहंकार का रावण मारें।
अंतिम सत्य राम को जानो,
मिथ्या यह संसार।