Last modified on 18 जून 2021, at 22:23

कविताएं / निमिषा सिंघल

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:23, 18 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निमिषा सिंघल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अकेले
रहने नहीं देती,
साथ चलती हैं।

निशब्द संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का
संवाद बनती हैं।
कलम में ताकत भर, स्मृतियों की आवाज़ बनती है।

अंतर्मन के शोर को
बाहर लाने के लिए एकांत बनती है।

बिना अभिव्यक्त करें ख़ुद को
कवि मारा जा सकता है,
उसे बचाने के लिए
नित नया आसमान रचती हैं।

कवि की सोच को विस्तार दें,
शब्दों में पंख लगा
उड़ान बनती है।

युद्ध और शांति के बिगुल की आवाजें लेखनी में भर
मुखर आवाज़ बनती हैं।

प्रकृति के आंसुओं का हिसाब-किताब कर
किताब बनती हैं।

अंतर्मन के
घाव़ो को भर
सम्मान बनती हैं।

दो बिछड़े प्रेमियों के बीच सामंजस्य बिठा
पुल का निर्माण करती हैं।

कविताएँ
बेहद ज़रूरी है एक कवि को बचाने के लिए।