Last modified on 18 जून 2021, at 23:28

जूँ / मेराज रज़ा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 18 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मेराज रज़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इल्लम-बिल्लम, झिल्लम झूँ,
काली-काली जूँ! जूँ! जूँ!

बालों में की घुस-पैठी,
खून चूसकर है बैठी !

मुनिया का सिर खुजलाया,
उसको तो ग़ुस्सा आया!

जल्दी से कंघी लाई,
फिर जूँ की शामत आई!