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डॉक्टर / पंछी जालौनवी

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रुकने लगता है
जिस मुक़ाम पर
सांसों का सिलसिला
बुझने लगती है
जहाँ से
उम्मीद की ये
शम्मा-ए-हयात
वहीं से नमुदार होता है
एक रहबर-ए-जां
वहीं से नज़र आता है
सांसों की गिनतियाँ
बढ़ाने की कोशिश में
एक मेहरबां
उस वक़्त सारे रिश्ते
अपने रब से दुआ करते हैं
हाथ उठाये होते हैं
बस एक डॉक्टर होता है अपना
बाक़ी सब पराये होते हैं॥