विज्ञान व्रत जी को कला और कविता दोनों के संस्कार बचपन से ही मिले हैं| देश -विदेश की विख्यात कला दीर्घाओं में इनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनियां लग चुकी हैं, तो देश की प्रतिष्ठित पत्र -पत्रिकाओं में इनकी गज़लें प्रकाशित होती रहतीं हैं|
इस कवि का जन्म 17 अगस्त 1943 को मेरठ के टेरा गांव में हुआ था| दुष्यन्त के बाद हिन्दी गज़ल में जो महत्वपूर्ण नाम उभर कर आये उनमे विज्ञान व्रत का नाम बड़े आदर से लिया जाता है| छोटी बहर में लिखने वाले विज्ञान व्रत एक अनूठे रचनाकार / गजलकार हैं| विज्ञान व्रत मूलतः गज़ल विधा के कवि /शायर हैं लेकिन गीत और दोहा विधा भी इनकी कलम के लिए अछूते नहीं रहे हैं | विज्ञान व्रत मंच पर जब कविता पाठ करते हैं तो वहाँ भी अपने हुनर की मिशाल पेश करते हैं और श्रोताओं का दिल जीत लेते हैं | जगजीत सिंह जैसे नामचीन गायक ने विज्ञान व्रत की गज़लों को अपना रेशमी स्वर दिया है| दिल्ली में कला को समर्पित एक स्टूडियो भी है| 1966 में आगरा विश्व विद्यालय से फाईन आर्ट्स में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने वाले विज्ञान व्रत तमाम पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किये जा चुके हैं|
कृतियाँ -बाहर धूप खड़ी है ,चुप कि आवाज ,जैसे कोई लूटेगा ,तब तक हूँ ,महत्वपूर्ण गज़ल संग्रह हैं खिड़की भर आकाश इनके दोहों का संकलन है |