Last modified on 28 अगस्त 2021, at 23:46

शिशिर / शिरीष कुमार मौर्य

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:46, 28 अगस्त 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिरीष कुमार मौर्य |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शिशिर में
बूढ़े और बीमार पक्षी मर जाते हैं
नई कोंपलें
झुलस जाती हैं पाले से

शिशिर में
शुरुआत और अख़ीर दोनों को
सँभालना होता है

शिशिर की क्रूरता
ग्रीष्म में बेहतर समझी और समझाई
जा सकती है

इसे इस तरह समझिए कि
जब किसी भी तरह
घर नहीं बना पातीं अपने उत्तरजीवन के
ससुराली शिविर को
चैत में

विकट कलपते हृदय से
स्त्रियाँ गाती हैं
मायके के शिशिर को