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दिल को भाती नहीं कोई सूरत / कनुप्रिया

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दिल को भाती नहीं कोई सूरत ।
ना किसी तौर ना किसी सूरत ।

तेरे चेहरे में देखती हूँ मैं
इश्क़ होने की आख़िरी सूरत ।

आप किस डर से डर गए साहब
मेरी सूरत है आपकी सूरत ।

हिज़्र की आँख वस्ल के सपने
है मुहब्बत की दोगली सूरत ।

तुम कोई और पेश आते हो
और होते हो और ही सूरत ।

इश्क़ में जिस्म तो ज़रूरी है
इश्क़ आता है जिस्म की सूरत ।