प्रेमिकाएं नहीं होती
शादी के लिए
वो तो केवल होती है
प्यार करने के लिए
प्रेमिकाओं को कभी नहीं
करनी चाहिए शादी
क्योंकि शादी के बाद
नहीं रहती वो प्रेमिका
वो हो जाती है
अपने प्रेमी के बच्चों की मां
सिर्फ और सिर्फ उसके बच्चों की मां।
दिन भर घर-बाहर के काम
निपटाते-निपटाते
थक कर चूर होने पर भी
उसे नहीं मिलता
घर का एक एकांत से भरा कोना
जहां बैठकर वो सुस्ताले
प्रेमी की कसमसाती बाहों में।
जहां एकांत में उसे
मिल जाए प्रेमी का
गर्मजोशी से भरा बोसा
उसके मस्तक पर।
या बच्चों की उपस्थिति को
अनदेखा कर वो
झट से आकर उसे भर ले
अपनी मदहोश बाहों में
और उसके हंसी लबों पर
लगा दे अपने
सुर्ख़ लबों का पहरा।
इसके बाद कोई गिला
कोई शिकवा
न कोई मलाल
रहेगा तो सिर्फ
और सिर्फ
प्यार ही प्यार बेशुमार।
लेकिन ये सब तो
बीते दिनों की बातें हैं
जो कभी शादी से पहले
किसी उद्यान वाटिका या
किसी रेस्त्रां की
कॉर्नर टेबल पर बैठकर
बिताए खास लम्हे
दोनों ने साथ में जिए थे।
इसीलिए मैं हमेशा कहती हूं
कि प्रेमिकाएँ नहीं बनी है
शादियों के लिए
जी हाँ
प्रेमिकाएँ नहीं बनी है
शादियों के लिए
उन्हें कभी नहीं करनी चाहिए शादी
क्योंकि शादी के बाद
वह नहीं रह जाती है प्रेमिका
वो तो हो जाती है
सिर्फ और सिर्फ माँ
अपने प्रेमी के बच्चों की मां।
यूं तो उसकी जिंदगी में
उस कमसिन प्रेमासक्त
प्रेमिका के जीवन में
कभी फुर्सत और सुकून भरे
लम्हे आते ही नहीं है
लेकिन जब कभी भूले-भटके
लौट आते हैं वो खूबसूरत लम्हें
तब वह अपने प्रेमी को
याद कर आती है
उन खूबसूरत लम्हों में
जब पॉकेटमनी
ना मिलने के बावजूद
ठन-ठन गोपाल
होते हुए भी
किस तरह दोनों
मिल-जुलकर एवरी फ्राइडे
आने वाली लेटेस्ट
बॉलीवुड मूवी की
ब्लैक में खरीदी गई टिकटों से
सिनेमा हॉल में
कॉर्नर की सीट के लिए
एक्स्ट्रा रुपए तक देने के लिए
हो जाते थे तैयार और
अब भले पैसा बहुत
कमा रहे हैं
लेकिन वक्त नहीं है
किसी के भी पास
और गर किसी तरह
निकाल भी लें वक़्त तो
इच्छाशक्ति मर चुकी है अब
अब उसी सिनेमा हॉल में
कॉर्नर की सीट पर बैठने का
मन ही नहीं करता
अब तो प्रेमिका को देखते ही
प्रेमी को दिखने लगती हैं
बच्चों की पढ़ाई-लिखाई
उनके भविष्य की सभी संभावनाएं
तो मैं सिर्फ और सिर्फ
इसीलिए कहती हूं
कि प्रेमिकाओं को कभी नहीं
करनी चाहिए शादी
क्योंकि फिर वह नहीं रह जाती प्रेमिका
वह हो जाती है
अपने प्रेमी के बच्चों की माँ
सिर्फ और सिर्फ माँ।