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नदी जितनी उदार कविता / सरस्वती रमेश

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हे ईश्वर!
अगले जन्म में मुझे
एक वृक्ष बनाना

इतिहास में आजतक
कोई कुल, वंश या राजा
इतना दानवीर ना हुआ
जितना अपने जीवनकाल में
कोई पेड़ होता है।

सबसे अच्छी कविताएँ
घने जंगलों में रहती हैं
गिलहरी की देह की
धारियों के बीच
कोमलता से बैठी
तो अगले जन्म
मुझे गिलहरी बना देना।

वह जो पक्षियों की गर्दन पर
चमकता नीला आसमान है
उससे सुंदर चीज भी
कुछ है क्या इस दुनिया में।

हे ईश्वर!
अगले जन्म मुझे वही
नीली स्याही बनाना
और पोत देना किसी
मोर या नीलकंठ की गर्दन पर।

या कोई नदी बनाकर
उड़ेल देना किसी
शुष्क जमीन पर।

मैंने आज तक
नदी जितनी लंबी और उदार
कोई कविता नहीं पढ़ी।