Last modified on 17 नवम्बर 2021, at 23:59

पानी बचाबोॅ / त्रिलोकीनाथ दिवाकर

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:59, 17 नवम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोकीनाथ दिवाकर |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पानी नै बचैभो त‘ सब मरी जैभो
आबै वाला बंशो के नाश करी जैभो

पोखर तलाब, भरी महल उठैल्हो
मालो मवेशी के सुख छिनी लेल्हो
बरसा के पानी तों कहाँ जमैभो
आबै वाला बंशो के नाश करी जैभो

जंगल पहाड़ काटी बरसा घटैल्हो
बरसा के असरा में खेतो सुखैल्हो
अन्न बिना चुल्हा तों केना जरैभो
आबै वाला बंशो के नाश करी जैभो

गंगा के धारो में कचरा बहाय छो
मैया के नाम लेके डुबकी लगाय छो
गंगा क‘ गंदा तों करी पचतैभो
आबै वाला बंशो के नाश करी जैभो