नौमंज़िला इमारत चढ़ने में लगता है समय
जितना कि नौमंज़िला कविता लिखने में नहीं लगता ।
नौ मंज़िल चढ़कर मिला मैं जिस आदमी से
उससे मिला था मैं ज़मीन पर अपने बचपन में ।
वहीं पर उससे दोस्ती हुई थी।
इतनी दूर-
और नौ मंज़िल ऊपर
नहीं मिल पाता जब मैं उस दोस्त से : वह मुझे
जब बहुत दिनों बाद मिलता है
तो पूछता है कि
क्यों नहीं कर लिया मैंने उसको फ़ोन ?