जंगल के “पेड़ों” में डर है
लकड़ी की बनी एक अदनी सी “तीली” का,
कि चिंगारी बेशक़ “छोटी” ही सही
पर “अपनों" के तरफ से उठे तो
सर्वस्व “स्वाहा” निश्चित है ।
जंगल के “पेड़ों” में डर है
लकड़ी की बनी एक अदनी सी “तीली” का,
कि चिंगारी बेशक़ “छोटी” ही सही
पर “अपनों" के तरफ से उठे तो
सर्वस्व “स्वाहा” निश्चित है ।