Last modified on 31 मार्च 2022, at 10:54

माँ / संतोष अलेक्स

Kumar mukul (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:54, 31 मार्च 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

माँ ने दसवीं तक की      
ही पढ़ाई की थी             

समझदार थी वह            
पढे लिखे लोगों से भी  

दु:ख इस बात का नहीं कि
माँ अब नहीं रही
दु:ख इस बात का है कि
जीतेजी वह अपने लिए नहीं जी 

आंगन, अहाता, रसोई
सब कहीं मौजूद थी वह
गर्मी में, सर्दी में
तनाव में, आहलाद में
परिवार को जोड़े रखा

स्‍कूल से लौटने पर
एक दिन
मैं उसके लिए आंवला ले आया
उस दिन
रसोई के अंधेरे में
खड़ी होकर वह बहुत रोई

वह आधा सोई
आधा जागी
और हम बड़े हुए

खुशी इस बात की है
कि परिवार के सदस्‍यों की
यादों में , साँसों में
जीती है वह आज भी