Last modified on 31 मार्च 2022, at 11:00

अफगानिस्‍तान / संतोष अलेक्स

Kumar mukul (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:00, 31 मार्च 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


{{KKRachna
|रचनाकार=संतोष अलेक्स
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}



(कमरान मीर हजार के लिए )  



शाम को बेटी को पढाने बैठा

अंग्रेजी किताब के पन्‍नों को पलटकर देखने पर

डायरी दिखाते हुए उसने कहा

अफगानिस्‍तान पर लेख तैयार करना है पापा



कुछ दिनों पहले अखबार में

अफगानिस्‍तान पर छपा लेख याद आया

उसपन्‍ने को संभालकर रखा भी था

याद करने की कोशिश की

इतने में वह फिर बोल पड़ी



पापा वहाँ तो बम गिर रहे हैं

स्‍कूल कॉलेज बंद हैं

वहाँ के बच्‍चों को भी पढने का हक हैं न ? 



मैं खामोश रहा

बेटी,मैं और कमरान

अफगानिस्‍तान के आकाश में

सूर्यकिरण विमानों के करतब के इंतज़ार मेंहैं


</poem>