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मई दिवस पर बाल गीत / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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पहली मई की सौगात
माँ और बाप दोनों एक पाँत
ताकि ज़िन्दगी हो ऐसी
रहे न मुफ़लिसी
हमारी भी यही बात ।

हरी-हरी शाख़ें हैं
लाल है परचम ।
सिर्फ़ कोई कायर ही
सहता है ग़म ।

मई की हरियाली
खेतों में उमड़ पड़ी है बाली ।
फ़सल हो बेशुमार
मिलाओ हाथ चार
हमारा पेट न रहे ख़ाली ।

हरे-भरे खेत हैं
लाल है परचम ।
रोज़गार मिले हमें
रोटी न हो कम ।