Last modified on 4 नवम्बर 2008, at 19:59

अनुनय / लावण्या शाह

198.190.230.62 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 19:59, 4 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लावण्या शाह }} <poem> मेरे अधर अधर से छू लेने दो! अध...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मेरे अधर अधर से छू लेने दो!
     अधर अधर से छू लेने दो!
है बात वही मधुपाश वही,
   सुरभीसुधारस पी लेने दो!
          अधर अधर से छु लेने दो!
कंवल पंखुरी लाल लजीली,
    है थिरक रही ,नयी कुसुमसी!
रश्मि नुतन को सह लेने दो!
           मेरे अधर अधर से छू लेने दो!
तुम जीवन की मदमदाती लहर,
           है वही डगर ,
डगमग पग्भर,
     सुख्सुमन-सुधा रस पी लेने दो!
मेरे अधर अधर से छू लेने दो!
     अधर अधर से छू लेने दो!