Last modified on 26 मई 2022, at 13:51

दिन / देवेन्द्र कुमार

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:51, 26 मई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवेन्द्र कुमार |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पीपल के पत्तों से
खटक रहे दिन
इस डाली
उस रस्ते
भटक रहे दिन

तुड़े-मुड़े पत्तों के
बजते हैं शंख
आँखों से झरते हैं
चिड़ियों के पंख
शामों की चौखठ
सिर पटक रहे दिन

जल-भुन के तावे से
कहती है रोटी
खट्टे अँगूर नहीं
है छलाँग छोटी

ताड़ से खजूरों तक
अँटक रहे दिन