Last modified on 30 मई 2022, at 01:28

संवेदनाएँ / मनोज चौहान

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:28, 30 मई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज चौहान |अनुवादक= |संग्रह=पत्थ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वक्त की दौड़ में
धकेल दिया है खुद को
आगे की ओर
जहाँ से चाहूँ भी
तो लौट नहीं सकता l

स्मृतियों के उफान में
अक्सर
उभर आती हैं संवेदनाएँ
बना देती हैं अक्स
बीते हुए लम्हों का l

वह ले जाना चाहती हैं
पीछे की ओर
कर देना चाहती हैं
मुझे भी अनभिज्ञ
अपनी तरह l

और जब उफान
हो जाता है बेकाबू
तो सोच के समंदर से
उड़ेल देता हूँ चंद बूंदे
शीतल जल की मानिंद l

झनझनाहट के साथ
थम जाता है फिर उफान
मैं लौट आता हूँ
पुनः
उसी जगह l