Last modified on 17 जुलाई 2022, at 14:32

महाअभिनिष्क्रमण / चंद्रप्रकाश देवल

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:32, 17 जुलाई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रप्रकाश देवल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उण दिन आपरै उडीक रा फळसा सूं
बारै कढतां
जांण्यौ नीं हौ सपनै ई
के आज इण घड़ी पूठै
नीं औ फळसौ
नीं आ ठौड़
नीं म्हैं-म्हैं वा रैवूंला

म्हैं खुद सूं बारै कठैई गी कोनीं
कांई जांणती
कीकर जांणती
उडीक री कार कित्ती आकरी व्है।