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कोरोना का...का...रोना / कौशल किशोर

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वह इतना सूक्ष्म है
कि नहीं दिखता नंगी आंखों से
बस, उसकी मार और वार का असर देखा जा सकता है
गलियाँ सूनी, बस्तियाँ वीरान, शहर भूतहा
उसकी उपस्थिति को बता रहा हैं
उसकी संघारक क्षमता दिखा रहा हैं

वह इतना शक्तिशाली है
कि बड़े-बड़े सूरमा हो गये हैं धराशायी
दुनिया के तानाशाह दुबके पड़े हैं
उड़ना तो दूर पंख तक नहीं फड़फड़ा रहे हैं
वे कितने भयभीत हैं
यह कहानी उनके चेहरे पर पढ़ी जा सकती है
वे हुक्मरान जिनकी सुबह किसी एक देश में
तो शाम कहीं और रंगीन होती
अब वे कहीं नजर नहीं आते
वे इतना डरे हैं
कि 'नमस्ते जी' हो गये हैं

तानाशाहों के पास हथियारों का जखीरा है
उनका आयुध भण्डार परमाणु अस्त्रों से सुसज्जित
विषाणुओं से भरा है
जिस पर वे इठलाते हैं
इस बात का है उन्हें गुमान
कि दुनिया को एक बार नहीं, वे बार-बार नष्ट कर सकते हैं
ज्ञान-विज्ञान पर कब्जा है
माल का ही नहीं, बुद्धि का सारा व्यापार उन्हीं के अधीन है

यह जो नया वायरस है
उनके लिए अबूझ पहेली है
इसने गति को गतिविहीन, रस को रसविहीन
सब कुछ दीन-हीन कर दिया है
सारे हथियार बेकार, उनका निरर्थक वार
वहीं नया इतना धारदार कि वह संभलने भी नहीं दे रहा है
संभलने से पहले ही सैकड़ों को अपनी चपेट में ले रहा है
वह महामारी की तरह फैल रहा है
फैलते-फैलते पहुँच गया हमारे दरवाजे दस्तक देता
दरवाजे में जो फाफर है जहाँ से रोशनी झिलमिल करती
वही उसका प्रवेश द्वार है
वहीं तैनात राष्ट्रीय चौकीदार है

हर तरफ उसी की चर्चा, उसी का शोर है
मीडिया हो या सोशल मीडिया या अखबार
दहशत ही खबर है, दहशत ही विज्ञापन है
दहशत ही प्रचार है, दहशत ही बाज़ार है
बाजार की बात उठी तो वह भी जीवन बचाने में नहीं
मुनाफा कमाने में जुटा है
उसके लिए यह बहती गंगा है
जब लोग अपना हाथ सेनेटाइज कर रहे है
और धो रहे हैं साबून से बीस सेकेण्ड
फिर वह भी क्यों न इस गंगा में अपना हाथ धो ले

बात अगर जीवन की है
तो किसने समझा है जीवन का मोल?
यह जीवन क्या है?
घटनाओं, दुर्घटनाओं, आपदाओं, विडम्बनाओं का दूसरा नाम है
मौत के सौदागर ही यहाँ जीवन के ठीकेदार हैं
पचास घंटे में तिरपन, एक दिन में चौबीस, एक रात में सरसठ
कितना गिनाये, कहाँ तक बताये, किस्से क्या-क्या सुनाये

ऐसे में कोरोना, कोरोना, कोरोना का...का...रोना है
यहाँ तो एक नहीं कई-कई कोरोना है।