Last modified on 13 नवम्बर 2022, at 00:35

मिलना / नरेश गुर्जर

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:35, 13 नवम्बर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश गुर्जर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पहली बार मिलने पर
उसने मुझसे
मेरी कविताओं के बारे में बात की

दूसरी बार
किताब के बारे में

और तीसरी बार
मेरे बारे में

चौथी बार वो
चुप रही

बस मेरी उल्टी हथेली पर
उसने अपना हाथ रख दिया
और कंधे पर सर

उस दिन वो मुझसे नहीं
मैं उससे मिला था।