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मृत्युदण्ड / मंजुला बिष्ट

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व्यक्ति के लिए-1
यदि आप कटिबद्ध हैं
या मजबूर हो चुके हैं
एक इंसान को बगैर कोई सुबूत छोड़े
मारने के लिए, तो
आप ज़्यादा कुछ न करें
बस उसकी जड़ें हिलाते चले जाएँ

देखना!
ऐसा करने से
उसके पैरों के आगे की ज़मीन कम होती जाएगी
वह हर वक़्त-बेवज़ह चुप रहने लगेगा

फिर वह
धीरे-धीरे बगैर किसी शोर के सिकुड़ने लगेगा
आख़िर एक इंसान
कब तक यूँ सिकुड़ कर जिंदा रह सकता है

इस तरह से एक दिन वह
अपने हिस्से की छह गज ज़मीन पर
अविचल लेटने की प्रतिज्ञा कर लेगा।
 
समाज के लिये-2
एक समाज को
अगर मारना हो
तो सबसे पहले उसके युवाओं को
सभ्य भाषा व सहनशील संस्कृति से दूर करो
और ध्यान रहें यथासंभव
इतिहास उसे बताया ही न जाए
वर्तमान में उसे 'दूर के ढोल' सुनाते जाना है
इस तरह से वह भविष्य नाम की अविधि से
नावाक़िफ़ रहेगा

और बचे-खुचे तमाशबीन लोगों को
इन सभी करतबों के वीडियो बनाकर वायरल करना सिखाओ।
 
देश के लिये-3
आदमी और समाज का मरते चले जाना एक संक्रामक ख़बर सिद्ध होगी
फिर भला
एक देश कैसे साँस ले सकता है!

फिर भी आप शंकालु-स्वभाव के हैं
तो बस
बच्चों को ये सब दृश्य / वीडियो दिखाते जाएँ
फिर वे पौधें-वृक्ष काटकर माचिस बनाना
और लोहे को सूंघना-चखना शुरू कर देंगे

अब!

बचे-खुचे हुए नागरिकों में से;
बूढ़ें दरवाज़े पर दस्तक के इंतज़ार में मर जाएंगे
स्त्रियाँ रसोई के ठंडी पड़ने के अकथ दुःख से
पुरुष एक जिम्मेदार मुखिया न बन पाने की शर्मिंदगी से

और आप!
आप बड़े ही आराम से
एक देश को विश्व-मानचित्र से ग़ायब करने के
महा-अपराध से बच निकलेंगे।