Last modified on 19 नवम्बर 2022, at 05:29

आम्रपाली / लिली मित्रा

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:29, 19 नवम्बर 2022 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

स्त्री सबके लिए खुद को
समायोजित करती,
अपने योजनों का विलय
और प्रयोजनों से भ्रमित होती
प्रकृति, धैर्य धरित्री,संज्ञाओं से विभूषित
बुद्ध को जन्मती
हरित छाया से आत्मबोध की शीतलता देती
बस एक वट वृक्ष बनकर रह जाती है...
जीवन की सार्थकता का बोध
हृदय पर भूरी धारियों सा सजा कर
मुक्ति मार्ग पर आम्रपाली सी चलती जाती है।