Last modified on 2 दिसम्बर 2022, at 21:31

अंतर / त्रिलोचन

Firstbot (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:31, 2 दिसम्बर 2022 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
तुलसी और त्रिलोचन में अन्तर जो झलके
वे कालान्तर के कारण हैं । देश वही है,
लेकिन तुलसी ने जब-जब जो बात कही है,
उसे समझना होगा सन्दर्भों में कल के ।
वह कल, कब का बीत चुका है--आँखें मल के
ज़रा देखिए, इस घेरे से कहीं निकल के,
पहली स्वरधारा साँसों में कहाँ रही है;
धीरे-धीरे इधर से किधर आज बही है ।
क्या इस घटना पर आँसू ही आँसू ही ढलके ।
 
और त्रिलोचन के सन्दर्भों का पहनावा
युग ही समझे, तुलसी को भी नहीं सजेगा,
सुखद हास्यरस हो जाएगा । जीवन अब का
फुटकर मेल दिखाकर भी कुछ और बनावा
रखता है । अब बाज पुराना नहीं बजेगा
उसके मन का । मान चाहिए, सबको सबका ।