तट है जैसा
होता है समुद्र का
पाँव
छोड़ते थे जो चिन्ह
रेत पर
डूब गए हैं गहरे
यह
किनारे पर
आई लहरें
किन गतियों की
पहचान है।
यह गली वैसी
जैसी किसी शहर की
मटियाली हवा में
तैरती मछलियाँ
जुड़वाँ
ढूंढ़ती हैं
आज भी
पीले पत्तों में नवीन पल्लव
नग से जड़ी
राजा की अंगूठी