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प्रतिबिम्ब / सुधा एम. राई

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अति कोमल हृदयको निकुञ्जबाट
बग्दै झर्छ
प्रेमधारा।
म अतृप्त नै छु।
जब दुई हत्केलामा अञ्जुलिभरि
पानी थाप्छु
म निःशब्द
मेरो हजुर प्रेममा अवतरित
एकै नजरमा परिपृप्त हुन्छु।