पुलवामा के सैन्य दलों पर,
छुपकर वार कराया है
अपने ही कुछ जयचन्दों ने,
यह संहार कराया है
कारण क्या है इस हमले का,
यह भी थोड़ा जानें हम
छिपे हुए हैं अपने घर में,
दुश्मन को पहचानें हम
भाई जैसा भेष बदलकर,
अपना बनकर रहते हैं
आतंकी से मिले हुए ये,
उसका पोषण करते हैं
गुप्त भेद बतलाकर हमला,
भी इस बार कराया है
मात्र पड़ोसी को मत कोसो,
केवल उसका दोष नहीं
घर के भेदी को पहचानो,
जिसको है संतोष नहीं
कुछ नेता तो दुश्मन के घर,
जा चुपके से मिलते हैं
भारत की बर्बादी होए,
यही मन्त्रणा करते हैं
संरक्षण दे उसने अस्त्रों,
का भंडार कराया है
अब दुश्मन के घर में घुसकर,
सीने पर ही वार करो
उससे पहले घर के दुश्मन,
का भी तो संहार करो
हाथी के दो दाँत रखे ये,
दिखते हैं भोलेभाले
अन्दर से दुर्दान्त भेड़िये,
बने हृदय के भी काले
उसी दुष्ट ने सैनिक हमला,
भी गद्दार कराया है