Last modified on 13 नवम्बर 2008, at 14:38

खेला / बलदेव वंशी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:38, 13 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= बलदेव वंशी |संग्रह= }} <Poem> रेले पर रेले पर रेला क्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रेले पर रेले पर रेला
क्षण-क्षण बनते-मिटते रूप
पानी का
कैसा
लगा खेल !...