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शृंगार / सुषमा गुप्ता

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पहली दफा जब अपना पाँव
तुम्हारे पाँव की बगल में देखा
तब सब अस्सी घाट की
गारा घुली
मिट्टी में सन्ना था।

मैंने उसे देर तक देखा
और सोचा ..

इतनी सुंदर मेहंदी
पिया के नाम की
दुल्हन के पाँव में
सृष्टि के सिवा
कौन लगा सकता था भला!
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