Last modified on 17 अप्रैल 2023, at 19:21

कवि-कर्म / शील

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:21, 17 अप्रैल 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शील |अनुवादक=लाल पंखों वाली चिड़ि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कवि का कर्म, मर्म जीवन का,
सत्य सृष्टि का,
चेतन-अवचेतन का द्रष्टा –
आलोचक –
जड़-चिन्तन का ।

कवि का कर्म, मर्म जीवन का ।

कवि का कर्म कलुष का भंजक,
मानव में ममत्व का सर्जक,
श्रम का सूत्र ...
निदान अर्थ का ।

कवि का कर्म, मर्म जीवन का ।

ज्ञान रहा विज्ञान सदा,
भौतिक पदार्थ का ।
करें ... कूप-मण्डूक सभ्यता, खेल –
भले ... पिण्डा तर्पन का ।

कवि का कर्म, मर्म जीवन का ।

18 जून 1987